बुधवार, 3 फ़रवरी 2010

सुविख्यात रंगकर्मी एवं अभिनेता प्यारे मोहन सहाय को श्रद्धांजलि

थम गया एक दौर ।
रंगकर्म को एक नया आयाम देने वाले प्यारे मोहन सहाय के निधन से एक दौर थम गया । सहाय जी ने न सिर्फ
रंगमंच पर बल्कि फिल्मों , धारावाहिकों ,टेलीफिल्मों एवं रेडियो -नाटकों पर भी गहरी छाप छोड़ी है । कल हमारा है , दामुल ,मृत्युदंड ,मुंगेरीलाल के हसीन सपने आदि को कभी भुलाया नहीं जा सकता ।
प्यारे मोहन सहाय से मेरा काफी करीबी सम्बन्ध रहा है । मेरे लिखे कई धारावाहिकों एवं टेलीफिल्मों में
उन्होंने यादगार भूमिका निभाई है , जैसे - जी हाँ हुजुर ,लेकिन ......., धत तेरे की ,बहु भी बेटी है , रामफल का
गाँव आदि । मेरे द्वारा लिखित और निर्देशित धारावाहिक नेहिया बा अनमोल में स्वतंत्रता सेनानी गंगाधर प्रसाद की भूमिका को उन्होंने जिस खूबसूरती से निभाया ,उसे भुलाया नहीं जा सकता । प्यारे मोहन सहाय की स्मृति
को शत -शत नमन करते हुए मैं उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ ।

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