बापू ,आ जाते एक बार । आ जाते तो तुम्हे दिखाता हाल तुम्हारे भारत का ।
दु:शासन से भरा पड़ा है हर चौराहा भारत का ।
माली के ही हाथों गुलशन रोज़ उजाड़े जाते हैं । द्रौपदियों के बसन बदन से रोज़ उतारे जाते हैं ।
कब होगा इन द्रौपदियों का कौरव से उद्धार । बापू ,आ जाते एक बार ।
गीता का उपदेश वो सारा भूल चला है पार्थ आज । गांडीव की प्रत्यंचा पर चढ़ा हुआ है स्वार्थ आज ।
गदा भीम की धरी रह गयी पता नहीं किस कोने में । झुण्ड शकुनियों का तत्पर है बीज कलह का बोने में ।
कुछ ले -दे कर बन गया मांझी तुफानो का यार । बापू , आ जाते एक बार ।
आँखों वाले धृतराष्ट्र तो मिल जायेंगे बहुत यहाँ । किन्तु विदुर सा कहने वाला नहीं रहा कोई शेष यहाँ ।
राम - रहीम की भूमि पूछती है हम भारतवालों से । कब तक आँख चुराओगे तुम जलते हुए सवालों से ।
गर पुरी उत्तर देने को हो जाओ तैयार । बापू आयेंगे सौ बार - बापू आयेंगे सौ बार ।
गीतकार - सतीश मापतपुरी
मोबाईल ---- 9334414611
सोमवार, 25 जनवरी 2010
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