राउर एके झलक बा नियामत सनम ,हमके आठो पहरिया भले ना मिलल ।
दूज के चाँद लउकल गनीमत बा ई ,रात भर के अंजोरिया भले ना मिलल ।
हर मोहब्बत के मंजिल कहाँ मिल सकल ,कुछ कली खिल गइल कुछ मुरझा गइल ।
हमरा जियरा में रउरे छबि बा बसल ,ई दीगर बात बा घर भले ना बसल ।
राउर एके झलक बा नियामत सनम ...............................................
साँच मानी सनम मन में कुछ गम न बा ,हमके जे भी मिलल उ भी कुछ कम न बा ।
एक ही छन के संग हमार अवकात बा ,उमर भर के सेजरिया भले ना मिलल ।
राउर एके झलक बा ..........................................................................
गीतकार --सतीश मापतपुरी
शुक्रवार, 4 दिसंबर 2009
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