धरती,चंदवा,सुरुजवा,गगनवा मिलल ,अउरी का चाही बिहँसत सिवनवा मिलल ।
गिरल देहिया से जहंवा पसीनवा हो राम ,उपजल धरती से तहँवा नागिनवा हो राम।
घाम,सरदी अउरी बरखा पवनवा मिलल ,अउरी का चाही बिहँसत सिवनवा मिलल।
खेत -खरिहान चारो तीरथ -धाम बा ,हर -जुआठे किसानन के ईमान बा ।
चईत,फागुन,भदउया ,सवनवा मिलल ,अउरी का चाही बिहँसत सिवनवा मिलल ।
धनिया ढेका के ठेका पे गावे झुमर,माथे बिंदिया बदन सोहे लाली चुनर ।
घरी भर रात जाके सजनवा मिलल ,अउरी का चाही बिहँसत सिवनवा मिलल ।
गीतकार -सतीश मापतापुरी
मो०-9334414611
बुधवार, 23 दिसंबर 2009
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